"निगाहों के शरारे से"

1 Part

253 times read

5 Liked

   "उलट  दूं  मैं  ज़मीं  को  एक अबरू के इशारे से!  मैं  चाहूं तो समन्दर  दूर  हट  जाये   किनारे  से !!  मचलती  है   सुबह  की  गोद में, ये लालिमा ...

×